दीपिका बहुत देर से अपने काम में व्यस्त थी। उसे पता था कि उसका बेटा रोहन उससे बहुत देर से कुछ कहना चाह रहा है। लेकिन दीपिका को घर के कुछ जरूरी काम निपटाने थे। इस कारण वह रोहन की बात ध्यान से नहीं सुन पाई। यह कोई सिर्फ आज का किस्सा नहीं था। दीपिका अकसर काम के दौरान रोहन की बात नहीं सुनती थी। लेकिन न जाने आज 8 साल के रोहन को क्या हुआ? जब बार-बार कहने के बावजूद दीपिका ने उसकी बात नहीं सुनी तो रोहन ने अपनी कई खास चीजों को तोड़ दिया। टूटने-फूटने की आवाज सुनकर दीपिका गुस्से में तमतमाती हुई रोहन के पास आई और उसके गाल पर दो चांटे रसीद दिए।
हमेशा की तरह उस रोज भी रोहन मां से बातें शेयर किए बिना रोते-रोते सो गया। दीपिका के लिए यह बहुत आम किस्सा है। लेकिन दीपिका को तब गहरा झटका लगा जब कुछ दिनों बाद रोहन की टीचर ने उससे कहा कि आप रोहन की बातें जरूर सुना करें। उसका न सिर्फ दिनों दिन गुस्सा बढ़ता जा रहा है बल्कि वह इस बात से भी नाराज रहता है कि उसकी मम्मी उसकी बातें नहीं सुनती हैं। दीपिका को अब तक यह अंदाजा नहीं था कि वह जाने-अनजाने रोहन की बातों को अनसुना कर रही है। दीपिका की यह आदत रोहन के बाल मन पर गहरा असर डाल रही है। यही नहीं मैडम से बात करने के बाद उसने अहसास किया कि अकसर जब भी रोहन गुस्सा होता है, उदास होता है तो वह रोहन को अकेला छोड़ देती है।
हालांकि दीपिका एक कामकाजी महिला है। उसकी अपनी बूटीक है। वह अकसर बूटीक का काम घर पर किया करती है। इसलिए अनजाने में वह रोहन की बातों को इग्नोर करने लगी थी। यूं तो रोहन ज्यादातर समय अकेले ही खेलता है। कभी अपनी मम्मी को परेशान भी नहीं करता। लेकिन मैडम से बात करने के बाद दीपिका को याद आया कि रोहन के गुस्से, उसकी उदासीनता को उसने कभी इंपाॅर्टेंस नहीं दी।
दीपिका अब यह जानने के लिए आतुर थी कि उसकी मैडम को यह क्यों लगता है कि वह अपने बेटे रोहन की बातें नहीं सुनती। पलटकर फोन पर दीपिका ने रोहन की मैडम से यह सवाल पूछा तो जवाब में उसे पता चला कि रोहन ने एक निबंध में लिखा है कि मम्मी बहुत बिजी होती हैं और वह बच्चों की बातें नहीं सुनतीं।
दीपिका के लिए यह सब सुनना किसी गहरे झटके जैसा था। उसने फोन काट दिया और अपने पति अनुराग को फोन लगाया। अनुराग को भी इन सब बातों की जानकारी नहीं थी। लेकिन दीपिका की बातें सुनकर अनुराग को बहुत गुस्सा आया। उसने छूटते ही दीपिका से बोला, ‘रोहन के साथ कोई समझौता मुझे नहीं चाहिए। पहले तुम उसे टाइम दोगी। इसके बाद अपने काम को टाइम दोगी। लेकिन तुम उस मासूम बच्चे को इग्नोर करने लगी हो। तुम्हें कुछ अंदाजा है, उस पर क्या असर पड़ेगा। न जाने उसके दिमाग में क्या-क्या चल रहा होगा।’
रोहन की बात पर दीपिका और अनुराग का आपस में काफी क्लेश हो गया। लेकिन दीपिका यह समझ चुकी थी कि अपने बच्चे के मन में अपनी जगह बदलनी है, तो उसे मेहनत करनी होगी। आज दोपहर जब रोहन स्कूल से लौटा तो दीपिका बिल्कुल अलग थी। उसने लंच में रोहन की पसंद के छोले बनाए थे। खाते-खाते उसने रोहन की हर बात को ध्यान दिया। उसने नोटिस किया कि कितनी ही बातों पर रोहन गुस्सा होता है, कभी खिल-खिलाकर हंसता है तो कुछ-कुछ बातों पर उदास भी हो जाता है। खाना खाने के बाद डेली रूटीन की तरह रोहन अपने टाॅयज के साथ खेलने लगा। अकसर खेलते-खेलते वह सो जाता है।
आज सोने से पहले उसने अपनी मम्मी से एक सवाल पूछा, ‘मम्मा आज आप बिजी नहीं हो?’
दीपिका ने मुस्कुराकर अपने बेटे को जवाब दिया, ‘नहीं बाबू। मैं बिजी नहीं हूं। मैं आपके लिए हमेशा फ्री हूं।’
पैरेंट्स के लिए सलाह
- आप चाहे कितने ही व्यस्त क्यों न हों, बच्चे की बातों को ध्यान से सनुें।
- बच्चों के गुस्से को नोटिस करें।
- अगर वह उदास है और कुछ बताना चाहता है, तो इग्नेार न करें।
- आपकी चुप्पी बच्चे के बिहेवियर को नेगेटिव बना सकती है।
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