रात को अमन के घर लौटते ही उसकी पत्नी पूजा ने वही सवाल पूछा, जो वह पिछले 15 दिनों से पूछ रही थी, ‘क्या तुमने वो स्पीकर ऑर्डर किया, जो मैंने बोला था। पूजा का सवाल सुनते ही अमन आग बबूला हो गया और गुस्से से उसे बोला, ‘मुझे कम से कम घर आकर शांति से बैठने तो दो। मैं चाय-पानी पी लूं। इसके बाद इस विषय पर बात कर लेंगे। लेकिन तुम्हें अपनी ख्वाहिशों की पड़ी हुई है। मैं क्या करूं? हमारी घर की जरूरतें ही इतनी बढ़ चुकी हैं कि मैं किसी भी तरह से तुम्हारी ख्वाहिशों को पूरा नहीं कर पा रहा हूं। मैं तुमसे माफी मांगता हूं। फिलहाल मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि मैं उन्हें खर्च कर सकूं। घर की जरूरतों को भी मुझे अपने दिमाग में रखना होता है। बच्चों की पढ़ाई, घर का खर्च… मुझे इस ओर ध्यान देना है न कि तुम्हारे स्पीकर पर।
अमन का गुस्से से एक सांस में इतना कुछ बोल जाना पूजा को बहुत बुरा लगा। पूजा को उम्मीद नहीं थी कि महज 2000 रुपए के स्पीकर के पीछे अमन उसे इतनी बातें सुना सकता है। ऐसा नहीं था कि पूजा घर के खर्चों से वाकिफ नहीं थी। लेकिन उसने पूरा हिसाब बनाने के बाद ही अपनी छोटी सी चाहत अमन के सामने रखी थी। लेकिन एकाएक उनके बजट में कुछ नए खर्च जुड़ गए, जिस वजह से वह अपनी पत्नी की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाया।
क्या है समस्या (What is problem)
पूजा ने कुछ नहीं कहा, वह शांत होकर घर के कामकाज में जुट गई। लेकिन अमन अंदर ही अंदर इस बात से परेशान होने लगा कि वह अपनी पत्नी की छोटी सी चाहत को भी पूरा नहीं कर पा रहा। सिर्फ पूजा और अमन ही इस तरह की स्थिति का शिकार नहीं होते। मौजूदा समय में मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखने वाले ज्यादातर दपंति अपनी ख्वाहिशों के बजाय घर की जरूरतों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। इसके पीछे निम्न वजहें हैं-
- घर की बुनियादी जरूरतों (focus on basics) पर ज्यादा ध्यान देना।
- बच्चों की परवरिश को प्राथमिकता देना।
- अपनी ख्वाहिशों को नजरंदाज करना।
- पैसों का सही तरह से मैनेजमेंट (money management) न कर पाना।
- अपने लिए फंड (Fund) अलग न रखना।
- रोजमर्रा की जरूरतों से बाहर न निकल पाना।
- प्लानिंग या बजट बनाने के दौरान खुद को इससे दूर रखना।
मानसिक प्रभाव (Mental effect)
- अपनी चाहतों से बार-बार समझौता करने की वजह से कुंठा से घिरे रहना।
- अपनी ही नजरों में खुद को महत्व (lack of self importance) न देना।
- अपने लिए कुछ न करने की वजह से हमेशा परेशान रहना।
- अपनी ख्वाहिशों से समझौता करने के कारण, दूसरों से जलन महसूस करना।
- हर समय पैसों के बारे में सोचना।
- पैसा कमाने के लिए नए-नए आय के जरिए तलाशना, फिर भी खुद पर खर्च करने में खुद को अक्षम समझना।
पारिवारिक तनाव (Family stress)
- अपनी और पार्टनर की जरूरतों को महत्व न देने की वजह से आपसी क्लेश होना।
- पार्टनर से किसी नई चीज की उम्मीद कम होना।
- रिश्ते में बोरियत (boring married life) होना।
- एक-दूसरे को किसी भी तरह के सरप्राइज देने से (avoid surprises) बचना।
- हर समय रोजमर्रा की जरूरतों में दबे रहने की वजह से दांपत्य जीवन बोझ लगना।
- एक-दूसरे के प्रति उदासीन होना।
समाधान (Solution)
- घर की जरूरतों के साथ-साथ अपनी चाहतों पर भी ध्यान (care for yourself) दें।
- आर्थिक तंगी की वजह से अपनी जरूरतों को नजरंदाज करना ही पड़े, तो पहले इस संबंध में पार्टनर से बात करें।
- बजट बनाते वक्त अपनी जरूरतों के लिए अलग से फंड रखें।
- आर्थिक तंगी न हो, इसके लिए सेविंग्स (savings) करें।
- जरूरत होने पर अपने घर-परिवार के अन्य सदस्यों से मदद लें।
Disclaimer : उपरोक्त लेख पाठकों की सूचना एवं जानकारी हेतु दिया गया है। हमारी कोशिश है कि हर लेख संपूर्ण और सटीक हो और इसके लिए सभी संभव उपाय किए गए हैं। मनकामित्र इस लेख की सटीकता की ज़िम्मेदारी नहीं लेता है। यहां मौजूद किसी भी सलाह, सुझावों को निजी स्वास्थ्य के लिए उपयोग करने से पहले चिकित्सीय परामर्श अवश्य लें।