‘अगर आधा-एक घंटा फालतू पढ़ लोगे तो कुछ हो तो नहीं जाएगा। तुम्हारा ही फायदा है। लेकिन तुम्हें तो ऐसा लगता है हम तुम्हारे दुश्मन बने हुए हैं। पढ़ाई को लेकर मुझे तुम्हारी तरफ से कोई लापरवाही नहीं चाहिए। इस साल बोर्ड के एग्जाम हैं। मैं तुम्हारे नंबरों के साथ जरा भी एड्जेस्टमेंट नहीं कर सकती। मुझे तुम्हारे नंबर अव्वल चाहिए। समझ आई बात।’
‘हां मां।’
निशा को अंदाजा नहीं था कि गुस्से में जिस तरह वह अपने बेटे देवेन के साथ पेश आ रही है, इससे उस पर काफी ज्यादा मेंटल स्ट्रेस बढ़ सकता है। देवेन ने उस दिन के बाद से अपन मां से बातचीत करनी बंद कर दी। उसे अंदर ही अंदर लगने लगा कि उसकी मां उसके साथ बहुत ज्यादा सख्त है। वह सोचता कि आखिर और भी तो बच्चे हैं, जो बोर्ड के एग्जाम दे रहे हैं। क्या उन्हें अपना करियर नहीं बनाना। मुझ पर ही मम्मा हमेशा प्रेशर देती रहती है। मेरे लिए खेलने तक का समय नहीं दिया है और न ही मैं अपने दोस्तों से मिल सकता हूं। ये क्या बात है? खाना खाओ फिर पढ़ने जाओ और सिर्फ पढ़ते रहो। सुबह पांच बजे उठकर पढ़ो फिर रात को सोने से पहले रिवीजन करो। जैसे लाइफ में कुछ और है नहीं।
जबकि निशा को पता ही नहीं था कि देवेन के मन में इतने बुरे-बुरे ख्याल आ गए हैं। हालांकि पिछले एक सप्ताह से निशा ने यह नोटिस किया कि देवेन अचानक कुछ चुप-चुप हो गया है। शुरू-शुरू में वह सोचती कि शायद पढ़ाई की वजह से वह ऐसा हो गया है। जबकि एक सप्ताह बाद आरती के पति हर्षित ने बताया, ‘देवेन काफी खामोश हो गया है। अगर ऐसा ही रहा तो वह कभी-भी तुमसे बात नहीं करेगा आरती। उसके मन में यह बात गाठ बन जाएगी कि उसकी मां उससे प्यार नहीं करती। ऐसा मत करो। बहुत ज्यादा स्ट्रिक्ट पैरेंटिंग सही नहीं है। तुम्हें उसे उसके लिए मी-टाइम देना चाहिए। साथ ही उसे दोस्तों के साथ खेलने दो, मोबाइल आदि से भी जुड़े रहने दो। ये आज की जरूरत है। अगर तुम उसे सिर्फ स्कूल की किताबों में झोंक दोगी तो देवेन की मेंटल ग्रोथ तो रुकेगी ही साथ ही उसकी पर्सनालिटी ग्रोथ भी रुक जाएगी। बतौर पैरेंट्स तुम्हें उसके सभी फैक्टर पर गौर करना चाहिए। सिर्फ बोर्ड के एग्जाम को उसकी लाइफ का आखिरी गोल मत समझो।’
निशा को समझ आया कि अगर उसने अपने व्यवहार में बदलाव नहीं किया तो शायद वह अपने बेटे के लिए अच्छी मां नहीं बन पाएगी। इसलिए निशा ने फैसला किया उसे अपनी पैरेंटिंग स्टाइल में कुछ सुधार करने होंगे। सबसे पहले निशा ने देवेन को बिन बताए घर में उसके दोस्तों के साथ वीकेंड में छोटा सा गेट-टूगेदर रखा। रात को एक-एक कर अपने दोस्तों को घर में देखकर देवेन चौंक उठा। उसे लगा कि उससे मिलने आए होंगे। लेकिन जब उसने देखा कि उसकी मम्मी ने उसके दोस्तों के लिए बहुत कुछ अरेंज कर रखा है, तो उसे समझ आ गया कि मम्मी ने स्पेशली उसके लिए एक पार्टी रखी है।
वह अपनी मम्मी के पास गया और बोला, ‘थैंक्स मां।’
‘साॅरी बेटा। मैं तुम्हारे साथ ज्यादा ही स्ट्रिक्ट हो गई थी। ऐसा नहीं होना चाहिए था। तुम दोस्तों के साथ खेलने जाया करो। हां, अपनी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान देना।’
पेरेंट्स के लिए सलाह (tips for strict parents)
- स्ट्रिक्ट पैरेंटिंग से दूर रहें।
- बच्चों को पढ़ने के साथ-साथ खेलने-कूदने का भी समय दें
- बच्चों के अच्छे दोस्त बनें।
- बच्चों के दोस्तों से भी दोस्ती करें।
- बच्चों के साथ ऊंची आवाज में बात न करें।
Disclaimer : उपरोक्त लेख पाठकों की सूचना एवं जानकारी हेतु दिया गया है। हमारी कोशिश है कि हर लेख संपूर्ण और सटीक हो और इसके लिए सभी संभव उपाय किए गए हैं। मनकामित्र इस लेख की सटीकता की ज़िम्मेदारी नहीं लेता है। यहां मौजूद किसी भी सलाह, सुझावों को निजी स्वास्थ्य के लिए उपयोग करने से पहले चिकित्सीय परामर्श अवश्य लें।
Image Credit – freepik