रूबी 9वी क्लास में पढ़ती है। आज सुबह उसे अपनी टीचर से खूब डांट पड़ी। टीचर की डांट से वह बहुत ज्यादा परेशान हो गई। उसने सोचा कि घर जाकर अपनी मम्मी से ये बात शेयर करेगी। लेकिन शाम को जब वह अपनी मां से बातें शेयर करने लगी तो उसकी मां ने सिर्फ इतना कहकर अपनी बातें खत्म कर दी कि ये सब नाॅर्मल है। उसकी मां ने एक बार भी रूबी से नहीं पूछा कि उसे डांट क्यों पड़ी? क्या वजह थी? क्या सच में उसकी गलती थी या फिर बिना गलती के ही उसे डांट पड़ गई। इसके बजाय वह अपने लैपटॉप में काम करती रही। अपनी मां के ऐसे रिस्पांस के कारण रूबी का सारा जोश ठंडा हो गया। उसने इसके बाद अपनी मां से कोई भी बात शेयर नहीं की। इसके उलट उसे लगा कि आखिर मां को यह सब बताकर क्या फायदा? डांट तो पड़ गई है और फिर मम्मी को इन सबसे क्या फर्क पड़ता है। वह निराश होकर चुपचाप अपने कमरे में चली गई।
समस्या क्या है (What is the problem)
- पैरेंट्स की सबसे बड़ी गलती है, बच्चों से खुलकर बात न (communication gap between parents and child) करना।
- बच्चा अगर अपनी बातें शेयर करे, तो उसे ध्यानपूवर्क न (listen carefully) सुनना।
- बच्चा जब बात करे तो उसकी बातों के साथ-साथ उसके हावभाव पर गौर न करना।
- बच्चे परेशान है या नहीं, इस बारे में कभी गौर न करना।
- बच्चे की लाइफ में क्या चल रहा है, इस पर रुचि न लेना।
- कभी यह न महसूस करना कि बच्चा अपनी परेशानियां आपके साथ साझा नहीं कर रहा है।
- यह उम्मीद करना कि बच्चे को जो आपने कह दिया है, उसे वही करना है। वह अपने मन से आपकी राय में फेरबदल नहीं कर सकता। ऐसा करने की सोचे तो आपका नाराज हो जाना या फिर बच्चे को डांट (scolding child) लगाना।
- बच्चे के साथ दोस्तों की तरह (friends with kids) पेश न आना।
मानसिक प्रभाव (Mental Effect)
- बच्चे की सीक्रेट बात का पता चलने पर बहुत दुखी होना।
- यह सोचना कि आखिर बच्चा आपसे बातें छिपाता क्यों है।
- अपनी परवरिश (parenting style) पर सवाल खड़ा करना।
- बातचीत में क्या गैप है, इसके बारे में सोच-विचार करना।
- बच्चे के लिए जो फैसले लेते हैं, उसमें क्या कमी रह गई, यह सोचना।
- बच्चा बातें क्यों छिपा (why is my child hiding things) रहा है, इस बारे में जानने की चाह होना। लेकिन बच्चे से पूछने का साहस न होना।
- बच्चे के बारे में पता करने के लिए उसकी गतिविधियों पर नजर रखने की कोशिश करना।
आप क्या करें (What to do)
- सबसे पहले तो बच्चे के साथ अपने कम्युनिकेशन गैप (communication gap) को करने के बारे में सोचें।
- बच्चे के साथ दोस्त की तरह रहें।
- बच्चे की हर बात को ध्यान से सुनें।
- बच्चा जब भी कुछ कहे, उसकी गतिविधियों पर जरूर नजर रखें।
- बच्चे के हावभाव को पढ़ें।
- बच्चा अगर कुछ छिपाने की कोशिश कर रहा है, तो दूसरे तरीकों से उसे जानने की कोशिश करें।
- बच्चा अगर आपसे कटा-कटा रहे तो वजह पता करने की कोशिश करें।
- ध्यान दें कि क्या बच्चा आपको अपना फोन, लैपटाॅप आदि देखने देता है। अगर नहीं, तो गौर करें कि वह क्या छिपा रहा है। ऐसी स्थिति में जबरदस्ती करना (never force your child) सही नहीं रहता। भावनात्मक रूप से बच्चे से जुड़ें। जरुरी हो तो इमोशनल होकर उसकी मदद (emotional help) करें।
- बच्चे पर कभी भी अपने फैसले थोपें नहीं। यदि वह कोई बेहतर आइडिया दे रहा है, तो उसे सुनें और उस पर अमल भी करें। यकीन मानिए, ऐसा करके वह ज्यादा जिम्मेदार बनेगा और आपका भरोसा उसे एक बेहतर आदमी बनाएगा।
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