कहने की जरूरत नहीं कि दादा-दादी, नाना-नानी का होना हमारे लिए कितना जरूरी है। मौजूदा समय जब पति-पत्नी दोनों कामकाजी हैं, ऐसे में तो दादा-दादी, नाना-नानी की भूमिका और ज्यादा बेहतर हो गई है। इसके अलावा दादा-दादी, नाना-नानी जो सिखा सकते हैं, वो सीख मां-बाप से शायद कभी न मिल सके। कभी-कभी दादा-दादी, नाना-नानी की बदौलत बच्चों की पर्सनालिटी पर इसका गहर असर पड़ता है। दादा-दादी, नाना-नानी की सीख ताउम्र बच्चों के काम आती है। इस तरह देखा जाए तो दादा-दादी, नाना-नानी बच्चों की जिंदगी में अहम भूमिका निभाते हैं। उनकी आपसी की बाॅन्डिंग बेहद जरूरी भी है। आइए जानते हैं दादा-दादी, नाना-नानी के साथ पोते-पोतियों को किस तरह के अन्य फायदे मिल सकते हैं।
बाॅन्डिंग बेहतर होती है (Bonding Benefits)
दादा-दादी, नाना-नानी का जब बच्चों के साथ अच्छा बाॅन्ड डेवेलप हो जाता है, तो बच्चों के अंदर बड़े बुजुर्गों की मदद से घर के कल्चर, अपनी विरासत के बारे में जानने को मिलत है। इतना ही नहीं बच्चों में जिंदगी के प्रति पाॅजीटिव एटीट्यड भी भर जाता है और बच्चे हमेशा प्यार से भरे हुए नजर आते हैं। दादा-दादी, नाना-नानी के साथ नजदीकियों के कारण बच्चों का दूसरों के प्रति व्यवहार भी हमेशा प्यारा और सम्मानजनक रहता है। ऐसे बच्चे, जिन्हें दादा-दादी, नाना-नानी के साथ समय बिताने का ज्यादा समय मिलता है, वे ज्यादा सिक्योर भी होते हैं।
विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि जो दादा-दादी, नाना-नानी बच्चों के स्वास्थ्य का भी बेहतर विकास करने में मदद करते हैं। आज के समय भी जब मौका मिलता है और पैरेंट्स अपने बच्चों को लेकर दादा-दादी, नाना-नानी के घर जाते हैं, बच्चों के अंदर एक अलग एक्साइटडमेंट होती है। असल में ये एक्साइटमेंट बताती है कि बच्चों को अपने दादा-दादी, नाना-नानी से कितना प्यार होता है। दादा-दादी, नाना-नानी को भी अपने पोते-पोतियों के साथ खेलने-कूदने में बहुत मजा आता है। इस तरह बच्चों का लर्निंग स्किल भी बेहद होता है और उनका विकास भी बेहतर तरीके से होता है।
दादा-दादी, नाना-नानी के साथ जुड़े रहने के कुछ टिप्स (Tips for Staying in Touch with grand parents)
मौजूदा समय में जब हर कोई न्यूक्लियर फैमिली में सिमट रहा है, आस-पड़ोस तक जाने में भी कतराते हैं। इस वजह से बच्चों तक अपने घर-परिवार के कल्चर, विरासत की जानकारियों नहीं पहुंच पा रही है। कभी भी ग्रैंड पैरेंट्स से न मिलने जाना, उनसे प्यार भरी बातें न करने के कारण बच्चों का उनके साथ बाॅन्ड क्रिएट नहीं हो पाता। ऐसे में पैरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि वे दादा-दादी, नाना-नानी के साथ बच्चों का बाॅन्ड डेवेलप करें। उन्हें आपस में मिलने-जुलने देना, सबके साथ घूमनेे-फिरने जाना बहुत जरूरी है। जानिए दादा-दादी, नाना-नानी के साथ बाॅन्ड को कैसे मजबूत बना सकते हैं।
- अकसर दादा-दादी, नाना-नानी के घर जाएं। यह ठीक भी है। बच्चों को लेकर हम सामान्य दिनों की तरह बाहर जा सकें, पार्क टहलने निकल सकें, ऐसे ही अकसर उन्हें उनके ग्रैंड पैरेंट्स के पास लेकर जाया करें। ग्रैंड पैरेंट्स के घर रेग्यूलर ट्रिप से बच्चों के मन में भी उत्साह और खुशी भरा रहता है।
- अगर किसी कारण वश आप नियमित नहीं जा सकते हैं, तो भी रेग्यूलर बच्चों से बातचीत करवाएं। इससे बच्चे का बाॅन्ड अपने दादा-दादी, नाना-नानी के साथ बना रहेगा। बच्चों को ई-मेल के जरिए दादा-दादी, नाना-नानी को खत लिखना सिखाएं। ध्यान रखें कि दौर कोई भी खत के जरिए जो प्यार और इमोशन शेयर होते हैं, वो किसी और माध्यम से नहीं होते। दादा-दादी, नाना-नानी के साथ खत के जरिए बातचीत बच्चों की लेखन शैली को भी बेहतर करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा आप स्काइप काॅल, फोन पर बातें कर सकते हैं। उनकी-एक दूसरे को तस्वीरें शेयर करें। एक-दूसरे की वीडियो बना-बनाकर शेयर करें।
- बच्चों को अकसर अपने घर-परिवार की तस्वीरें दिखाते रहें ताकि बच्चों के मन में यह अहसास बना रहे कि दादा-दादी उनकी लाइफ का बहुत इंपाॅर्टेंट हिस्सा हैं। उन तस्वीरों की मदद से भी बच्चे के मन में अपने दादा-दादी, नाना-नानी के प्रति प्यार बना रह सकता है। साथ ही पुरानी यादें भी अकसर बच्चे के मन में जिंदा रहेंगी।
- बच्चे के जरिए उनके दादा-दादी, नाना-नानी को कोई न तोहफा भिजवाते रहें। इसी तरह दादा-दादी, नाना-नानी से कहें कि वे अपने पोते-पोतियों को कुछ न कुछ तोहफा जरूर भेजें। बच्चों को कहें कि वे अपने दादा-दादी, नाना-नानी के लिए खुद तोहफे सेलेक्ट करें और उन्हें खुद कूरियर करना सीखें। इससे बच्चे के मन में गिफ्ट पाने की ललक तो बनी रहेगी साथ ही बच्चे को में दूसरों को देने की प्रवृत्ति भी बनेगी।
- अकसर बड़े-बुजुर्ग के पास काम करने को खास कुछ नहीं होता है। इसलिए वे अपना ज्यादातर स मय या तो कड़ाई-बुनाई, कुकिंग, कपड़े सीलने, गार्डनिंग आदि में गुजारते हैं। दादा-दादी, नाना-नानी और पोते-पोती के बीच बाॅन्ड को स्ट्राॅन्ग बनाने के लिए दादा-दादी, नाना-नानी की इन हाॅबीज को बच्चों तक पास आॅन किया जा सकता है। इस तरह बच्चे में नए स्किल डेवेल हो सकते हैं और दादा-दादी, नाना-नानी को भी छोटे बच्चों को कुछ नया सिखाने में मजा आ सकता है।
- उम्र चाहे कोई भी हो, हर व्यक्ति अपनी गुजरी पीढ़ी के बारे में वो सब जानना चाहता है, जो उसे नहीं पता। हर कोई यह देखना चाहता है कि उनके गुजरी पीढ़ी कैसी दिखती थी, उनके परिवार के लोग कितने पढ़े-लिखे थे, वे कैसे-कैसे काम किया करते थे। इन सब चीजों की जानकारी की ललक बच्चों में होती है। इसलिए ग्रैंड पैरेंट्स बच्चों के साथ बैठकर फैमिली ट्री बना सकते हैं। उन्हें बता सकते हैं कि घर में पहले कौन-कौन था या अब कौन-कौन हैं, जिनके साथ अब ज्यादा मुलाकातें नहीं होती हैं।
- सुरक्षा का ध्यान हमेशा रखें। अकसर बढ़ती उम्र में ग्रैंड पैरेंट्स को बहुत चीज ध्यान नहीं रहती हैं। इसके बावजूद वे अपने नन्हे पोते-पोतियों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं। फिर भी पैरेंट्स की जिम्मेदारी होती है कि वे ग्रैंड पैरेंट्स और पोते-पोतियों के बीच एक कड़ी की तरह काम करें। जब जिसे समस्या हो, वे उस समस्या का समाधान बनकर उभरें।
कहने का मतलब यह है कि जब भी दादा-दादी, नाना-नानी के घर जाएं, तो सुनिश्चित करें कि वहां कोई ऐसी चीज न हो जिस्से बच्चे को नुकसान हो सकता है। इसके साथ यह ध्यान रखें कि बच्चे काफी एक्टिव होते हैं। उनकी एक्टिवनेस के कारण कभी दादा-दादी, नाना-नानी को चोट लगे या उन्हें किसी तरह का नुकसान न हो।
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