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बच्चों को उनका पर्सनल स्पेस न देना (Give some personal space to your kids)

धवल के दोस्त घर आए तो उसकी मां मधु उन्हीं के साथ आकर बैठ गई। कुछ देर तक तो मधु उनके साथ खूब हंसती-खिलखिलाती रही। कुछ देर बाद ही धवल इशारों में अपनी मां को समझाने लगा कि मां अब मुझे अपने दोस्तों के साथ छोड़ दो। तुम यहां से जाओ। जानते-बूझते हुए भी मधु ने बच्चों को अकेला नहीं छोड़ा। नतीजतन 30-40 से मिनट बाद धवल के सभी दोस्त चले गए। उनके जाते ही धवल का गुस्सा अपनी मां पर फूट पड़ा, ‘तुम्हें मैं तबसे समझा जा रहा हूं, बार-बार इशारे कर रहा हूं कि तुम निकलो यहां से। तुम यहां से हिली ही नहीं।’ पलटकर गुस्से से मधु ने बोला, ‘आखिर ऐसी क्या बात थी जो तू मेरे सामने अपने दोस्तों के साथ नहीं कर सकता। अगर गंदी बातें करनी थी तो अच्छा ही हुआ कि मैं यहीं तेरे साथ थी।’ धवल अपनी मां की बात सुनकर आग बबूला हो गया। उसने गुस्से में कहा, ‘मां आप कुछ भी कहते हो। हम कैसी बातें करते हैं, यह जरूरी नहीं है। आपको यह समझना चाहिए था कि मुझे अपने पर्सनल स्पेस की जरूरत होती है। उसमें मैं आपको भी आने नहीं दे सकता। तुम क्यों मेरे पर्सनल स्पेस में घुस रही हो। हमेशा कोशिश करती हो। ऐसा मत करो। मुझे पसंद नहीं है। मैं अब बड़ा हो रहा हूं, मुझे पता है कि क्या करना है और क्या नहीं। अगर कोई  परेशानी होगी तो मैं तुमसे पूछ लूंगा। मैं आपसे रिक्वेस्ट करता हूं कि मेरे पर्सनल स्पेस को समझो और उससे दूर रहो।’

मधु को अपने बेटे की कुछ बातें समझ आई और कुछ नहीं आई। उसे लगा कि पर्सनल स्पेस जैसी भी कोई भी चीज होती है? यह उसे पता ही नहीं था। उसे लगा कि उसके बचपन में तो ऐसा कुछ नहीं होता था। हम जो करते थे, सब कुछ अपने पैरेंट्स के सामने होता था। हद हो गई अब तो बच्चे कैसी-कैसी मांग करते हैं।

समस्या क्या है (what is the problem)

  • पर्सनल स्पेस के बारे में न जानना और न ही उसको अहमियत देना।
  • बच्चों के पर्सनल स्पेस का सम्मान (respect your child’s privacy) न करना।
  • निजी स्पेस में बच्चा क्या करेगा, यह जानने की कोशिश करना।
  • यह सोचना कि बच्चा अपने निजी स्पेस का गलत फायदा उठा सकता है।
  • बच्चा अपने दोस्तों तक से बात करे, तो उसे ध्यान से सुनना।
  • यह सोचना कि पर्सनल स्पेस देने से बच्चा परिवार को महत्व नहीं देगा।
  • यह सोचना कि पर्सनल स्पेस अकसर बच्चों को गलत राह देता है।
  • बच्चे को आखिर पर्सनल स्पेस क्यों चाहिए, इस तरह की सोच रखना।
  • निजी स्पेस में पैरेंट्स का होना जरूरी है, इसे अपनी जिम्मेदारी समझना।
  • निजी स्पेस में बच्चा आजादी के मायने नहीं समझेगा, इस तरह के विचार पर जोर देना।
  • आप मानसिक रूप से परेशान होते हैं, जैसे ही बच्चा अपनी निजी स्पेस की मांग करता है।
  • आप इसलिए परेशान हो जाते हैं कि कहीं बच्चा संदिग्ध गतिविधियों में तो शामिल नहीं है।

आप क्या करें (what to do)

  • इस बात को समझें कि निजी स्पेस हर रिश्ते (personal space is important), हर उम्र की दरकार है।
  • यह सोचना बंद करें कि बच्चा निजी स्पेस का गलत फायदा उठाएगा।
  • बच्चे पर भरोसा करें (trust on your kids)।
  • यदि आप अपने बच्चे पर भरोसा नहीं करेंगे, तो जरा सोचिए कि क्या वह आप पर भरोसा करेगा।
  • यदि उसे पर्सनल स्पेस देने के बाद कोई संग्धि गतिविधि नजर आए, तो सतर्क रहें।
  • आपकी जिम्मेदारी है कि बच्चे को उसकी जिम्मेदारी का अहसास कराएं। ऐसा आप उसे निजी स्पेस देकर कर बेहतर तरिके से कर सकते हैं।
  • जैसा कि आप जानते होंगे कि आजाद होने के बाद आजादी की जिम्मेदारी का पता बेहतर तरीके से चलता है। बच्चे को उसका निजी स्पेस दें। यकीन मानिए, वह आपके द्वारा दिए गए समय का नाजायज फायदा नहीं उठाएगा अपितु उसे खुद को बेहतर तरीके से संभालने की कोशिश करेगा।

Disclaimer : उपरोक्त लेख पाठकों की सूचना एवं जानकारी हेतु दिया गया है। हमारी कोशिश है कि हर लेख संपूर्ण और सटीक हो और इसके लिए सभी संभव उपाय किए गए हैं। मनकामित्र इस लेख की सटीकता की ज़िम्मेदारी नहीं लेता है। यहां मौजूद किसी भी सलाह, सुझावों को निजी स्वास्थ्य के लिए उपयोग करने से पहले चिकित्सीय परामर्श अवश्य लें।

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