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कहीं आपको भी तो नहीं मिल रहा ‘गैसलाइटिंग’ धोखा…रिलेशनशिप में बार-बार मिलें ये सिग्नल तो हो जाएं अलर्ट

रिलेशनशिप में कॉन्फिडेंस कम होना कोई आम बात नहीं है। हर झगड़े के लिए सिर्फ आपको जिम्मेदार ठहराना, बार-बार आपकी गलती को ही हाइलाइट करना, ये बताना कि आप कुछ भी ठीक से नहीं कर सकते। अगर आपके रिलेशनशिप में ये हो रहा तो जरूरी नहीं कि आप गलत हो बल्कि हो सकता है आप गैसलाइटिंग के शिकार हो रहे हों। गैसलाइटिंग एक साइकोलॉजिकल गेम है। जो रिश्तों में ना सिर्फ कड़वाहट लाता है बल्कि एक टॉक्सिक रिलेशनशिप का उदाहरण भी है। रिश्तों में गैसलाइटिंग को समझना बेहद जरूरी है क्योंकि आपको कंट्रोल करने के लिए पार्टनर गैसलाइटिंग का इस्तेमाल कर सकता है।इसकी मदद से पर्सनल और प्रोफेशनल रिश्तों में नाजायज फायदे उठाने की कोशिश की जाती है। गैसलाइटिंग का बार-बार होना रिलेशनशिप को टॉक्सिक बना सकता है। इसलिए गैसलाइटिंग को जानने के साथ इससे डील करने का तरीका भी पता होना चाहिए। इसलिए हम आपको गैसलाइटिंग के बारे में सब कुछ बता रहे हैं।

क्या है ‘गैसलाइटिंग’ धोखा..?
रिलेशनशिप में गैसलाइटिंग को साइकोलॉजिकल धोखा भी कहा जा सकता है। जो रिश्तों में जहर घोलने का काम करता है, जहां पार्टनर आपको इतना डिमोरलाइज करता है कि धीरे-धीरे आपका खुद से ही भरोसा उठने लग जाता है। मामूली गलतियों के लिए भी आप गिल्टी फील करने लग जाते हो। उदाहरण से समझा जाए तो अगर कोई पति बार-बार अपनी पत्नी से कहे कि, तुम्हारे जॉब करने से पर्सनल लाइफ पर बहुत फर्क पड़ रहा है। बच्चों का हवाला देकर कहे कि इनकी पढ़ाई भी तुम्हारी वजह से ही ठीक से नहीं हो रही है। फिर एक दिन पत्नी को खुद ऐसा लगने लगेगा कि वाकई उसकी जॉब पर्सनल लाइफ को इफेक्ट कर रही है जबकि रिश्तों को संभालने की जिम्मेदारी दोनों की है लेकिन बात मनवाने के लिए इस तरह मैनिपुलेट करना ही गैसलाइटिंग कहलाता है।


गैसलाइटिंग से डील करने का तरीका
जरूरी नहीं कि हर बार आप पर गैसलाइटिंग की जा रही हो, लेकिन जब आप बिना गलती खुद को जिम्मेदार समझने लगें, अपनी गलती छिपाने के लिए पार्टनर आपको ही गलत ठहरा दे तो अलर्ट हो जाना चाहिए। ऐसे रिलेशनशिप में थोड़ा सा स्‍पेस लेकर सही और गलत के बारे में सोचना चाहिए। दिमाग में कोई बात क्लिक करे तो उसके बारे में डिटेल में सोचें, साथ ही खुद पर भरोसा करें। अपनी बात को लॉजिक के साथ समझाएं। जरूरत पड़ने पर प्रोफेशनल काउंसलर की भी मदद ले सकते हैं।



गैसलाइटिंग का रिलेशनशिप पर असर
जाने या अनजाने में किसी भी रिलेशनशिप में गैसलाइटिंग होना बहुत ही आम बात है। लेकिन ऐसा बार-बार होने से रिश्ते में कड़वाहट बढ़ने लग जाती है, यहां तक कि रिलेशनशिप टॉक्सिक हो जाता है। अगर एक बार पार्टनर भांप गया कि उस पर साइकोलॉजी अपनाई जा रही है तो वह हर बात को शक की निगाह से देखता है। उसका रिश्तों से ही भरोसा उठ जाता है। इसलिए मार्केटिंग या बिजनेस में गैसलाइटिंग का इस्तेमाल हो सकता है लेकिन पर्सनल लाइफ से इसे दूर ही रखना चाहिए।



कहां ये आया गैसलाइटिंग ?
2022 में वर्ड ऑफ द ईयर का खिताब जीतने वाले ‘गैसलाइटिंग’ का इतिहास बड़ा ही रोचक है। साल 1938 में अंग्रेजी नाटककार पैट्रिक हैमिल्टन का एक नाटक आया। जिसका नाम था- “गैस लाइट”। जिसमें एक शख्स अपनी अच्छी-भली पत्नी को पागल साबित करने की कोशिश करता है। जो रोज गैस लाइट को धीमा कर देता था जिससे उसकी पत्नी को कुछ दिखाई नहीं देता। जब वो अपने पति से शिकायत करती है तो वह कहता है कि ऐसा पागलपन की वजह से हो रहा है। फिर पत्नी भी धीरे-धीरे खुद को पागल मानने लगती है। इस तरह से किसी भी काम को लेकर गैसलाइटिंग का इस्तेमाल हो सकता है, इसलिए प्यार करने के साथ ही खुद पर भरोसा करना बहुत जरूरी होता है।


(all image credit : pexels)

Disclaimer: उपरोक्त लेख पाठकों की सूचना एवं जानकारी हेतु दिया गया है। हमारी कोशिश है कि हर लेख संपूर्ण और सटीक हो और इसके लिए सभी संभव उपाय किए गए हैं। मनकामित्र इस लेख की सटीकता की ज़िम्मेदारी नहीं लेता है। यहां मौजूद किसी भी सलाह, सुझावों को निजी स्वास्थ्य के लिए उपयोग करने से पहले चिकित्सीय परामर्श अवश्य लें।

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