‘नसीब वाले हैं जिनके सिर पर पिता का हाथ होता है, जिद पूरी हो जाती है सब गर पिता का साथ होता है।’
सच ही कहा है कि पिता अपने मुंह से कुछ नहीं कहते हैं, लेकिन बिन बोले बच्चों का आत्मविश्वास होते हैं। पिता की वजह से ही हर बच्चा अपने सपनों को पंख दे सकता है। इसलिए पिता हर बच्चे के पहले हीरो होते हैं। हर बच्चा जब छोटा होता है, तो वे चाहता है कि वह अपने पिता जैसा बने। पिता का स्टाइल, पिता के बातचीत का तरीका, पिता की तरह सफल होना। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि पिता की महाकाय छवि में कितनी जिम्मेदारी होती है। पिता हमेशा इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि कभी भी वह अपने बच्चों के सामने हारे नहीं बल्कि विजयी होकर आएं। पिता अकसर अपनी हार का बखान भी अपने बच्चों के सामने करने से बचते हैं ताकि बच्चे कभी भी हारने का बहाना न तलाश लें।
आइए इस फादर्स डे में हम सब जानते हैं कि पिता का बच्चों की पर्सनालिटी पर क्या असर पड़ता है और किस तरह बच्चे अपने पिता की वजह से मेंटली स्ट्राॅन्ग होते हैं।
आत्मविश्वास बढ़ता है (Boost Confidence)
बचपन से ही बच्चे देखते हैं कि किस तरह से पिता घर के हर छोटे-बड़े फैसले बिना किसी संकोच के लेते हैं। पिता हमेशा यह जानते हैं कि वे अपने परिवार की रीढ़ की हड्डी हैं। इसलिए उनकी पूरी कोशिश होती है कि कोई भी फैसला गलत न लें और अपने परिवार के लिए लिया गया उनका हर फैसला सही साबित हो। इस तरह देखें तो बच्चे और पिता के बीच अगर ज्यादा बातचीत न भी हो, तो पिता की ये आदतें अपने आप बच्चे में शामिल होने लगती हैं। ऐसे ही बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ने लगता है।
समझ बढ़ती है (Increase Intellect)
पिता भले कभी-कभी बच्चों के सामने बचकानी हरकत कर बैठते हैं ताकि बच्चे उन्हें अपना दोस्त समझें। लेकिन ये बात भी सच है कि पिता अपनी बच्चे की भावनात्मक बुद्धिमत्ता और समस्या को सुलझाने की क्षमताओं को बढ़ाने में मदद कर सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि जो पिता अपने बच्चे के साथ काफी सक्रिय होते हैं, उनका असर काफी ज्यादा बच्चों के मानसिक विकास पड़ता है। ऐसे बच्चे इमोशनली भी काफी स्ट्राॅन्ग होते हैं। इन बच्चों की आंकलन की क्षमता भी बेहतर होती है।
रोल माॅडल बनते हैं (they are role models)
अपने बिहेवियर और सफलताओं की बदौलत ही पिता अपने बच्चों के पहले रोल माॅडल होते हैं। हर बच्चा आपको यही कहते सुना जाता है कि मैं बड़े होकर पापा जैसा बनूंगा, उनकी तरह ऑफिस जाऊंगा, उनकी तरह हर काम करूंगा। ऐसा इसलिए क्योंकि पिता का बिहेवियर, समस्याओं को सुलझाने का तरीका और ऑफिस या आसपास के लोगों के बीच उनका ओहदा बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करता है। जो बच्चे अपने पिता के काफी नजदीक होते हैं, ये बच्चे अपनी जिम्मेदारियों के प्रति काफी सजग होते हैं।उन्हें सही और गलत के बीच का फर्क भी मालूम होता है।
अलग दृष्टिकोण मिलता है (Provide A different perspective)
हमारे यहां माना जाता है कि आज भी मांएं से ज्यादा पिता को एक्सपोजर ज्यादा मिलता है। यही कारण है कि उनके पास हर चीज को समझने के अलग-अलग दृष्टिकोण या परिप्रेक्ष्य (perception) होते हैं। जो बच्चे पिता के करीब होते हैं, उन्हें यह गुण अपने पिता से मिलता है। पिता की बदौलत ही बच्चे समझते हैं कि किसी भी चीज को श्याम-श्वेत यानी ब्लैक एंड व्हाइट की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए। इसके उलट हर चीज को अलग-अलग नजरिए से देखा और समझा जाना चाहिए। यह ऐसी कला होती है, जो बच्चों को ताउम्र जीवन के हर मोड़ पर बेहतरी के लिए मदद करती है।
प्यार करना सिखाते हैं (make you emotional)
हालांकि बच्चा प्यार, इमोशंस अपनी मां से ही सीखते हैं। लेकिन पिता के प्रोत्साहन का तरीकों से ही बच्चा सीखता है कि आखिर प्यार कैसे निभाया जाता है और जताया जाता है। प्यार करना काफी नहीं होता है। प्यार को पूरा करना जरूरी होता है। पिता और बच्चों का प्यार अतुलनीय है। पिता की भूमिका बच्चों के जीवन में अतुलनीय है। यकीन पिता के बिना बच्चा का व्यक्तित्व अधूरा होता है।
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