परिवार में तनाव होना आम बात है। वैसे भी हमारे यहां कहा जाता है कि जब घर में चार बर्तन होते हैं, तो वे आपस में खनकते ही हैं। इसलिए यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि परेशानियां परिवार का अभिन्न हिस्सा हैं। हर परिवार में कोई न कोई ऐसा दौर आता है, जब उनमें आपसी मतभेत चलते हैं। यहां तक कि घर के सदस्यों के बीच निजी संबंधों को लेकर समस्या होना भी सामान्य है। लेकिन जब यही बातें ज्यादा परेशान लगें या परिवार में स्थिरता ही न आ सके तो यह चिंता का विषय बन जाती है। इसलिए जब भी ऐसा हो तो परिवार के हर सदस्य को एलर्ट हो जाना चाहिए। उन्हें पता होना चाहिए कि वे अपने परिवार को बिखरने से कैसे रोक सकते हैं।
अकसर आपने देखा होगा कि पति-पत्नी के बीच तनाव इतना बढ़ गया कि पत्नी घर छोड़ कर चली गई। इस वजह से पति-पत्नी सहित बच्चे भी काफी ज्यादा परेशान हो जाते हैं।
ऐसा ही एक उदाहरण हैं महाराष्ट्र के संजय का। उनकी शादी को दस साल हो चुके हैं। किसी भी सामान्य पति-पत्नी की तरह संजाय अनकी पत्नी वाणी भी हैं। एक-दूसरे से रूठना-मनाना, लड़ना-झगड़ना इनके बीच भी आम बात है। इनके दो बच्चे भी हैं। अब उनकी उम्र 9 और 7 साल है। देखने-सुनने में परिवार और अच्छा और सामान्य लग रहा है।
लेकिन पिछले दिनों लाॅकडाउन के कारण पति-पत्नी के बीच तनाव काफी बढ़ गया। बात इतनी बिगड़ गई कि वाणी अपना घर छोड़कर अपनी मम्मी के यहां रहने चली गई। हद तो तब हो गई जब संजय ने कई बार वाणी को फोन किया, लेकिन वह फोन पर नहीं आई। संजय किसी भी तरह से वाणी से बात नहीं कर पाया। हालांकि वाणी अपने बच्चों को फोन करती रही, पर धीरे-धीरे समय ज्यादा बीत जाने के कारण अब बच्चों का अपनी मां से बात करने खास मन नहीं करता।
वाणी कोशिश करती है कि वह अपने बच्चों के टच में रहे। उनसे बातचीत करती है। यही नहीं वाणी अपने बच्चों के जरिए अपने पति संजय के बारे में पूछताछ करती है और फोन पर यह भी कहती है कि मैं जल्द लौट आऊंगी।
लेकिन अब वाणी को गए हुए 1 साल हो चुके हैं। बच्चों ने अपनी मां के लौटने की उम्मीद छोड़ दी। संजय भी अपनी पत्नी को मना-मनाकर थक चुका था। उसके मन में यह बात आ गई थी कि अब तो पत्नी को तलाक देना है, क्योंकि उसे अपने बच्चों के लिए एक मां की जरूरत है। वह अपने बच्चों को यूं अकेला नहीं रहने दे सकता है। लाख समझाने के बावजदू वाणी अपनी जिद पर अड़ी रही और घर नहीं लौटी। घर न लौटने की वजह संजय भी समझ नहीं पाया। जबकि उसने वाणी से अपने पूरे परिवार के सामने माफी मांगी और मनाने की हर संभव कोशिश की।
संजय और वाणी की कहानी से समझ आता है कि कभी-कभी परिवार के किसी एक सदस्य के फैसले से पूरा परिवार बिखर जाता है। इसलिए कहा जाता है कि परिवार एक ऐसा संस्थान है जहां सामजंस्य और समझौते बहुत जरूरी हैं।
परिवार में समस्या के संकेत (signs of family and relationship problems)
आपके परिवार के साथ ऐसा न हो, इसके लिए जरूरी है कि आप कुछ संकेतों को पहचानें जो परिवार की शांति को भंग कर सकते हैं-
- लगातार बहस करना
- एक-दूसरे से मतभेद होना
- बातचीत करते-करते झगड़े होना
- छोटी-छोटी बात पर गुस्सा होना
- एक-दूसरे को इग्नोर करना
- शारीरिक मतभेद होना
- परिवार में समस्या पैदा करने की वजह
- एक-दूसरे से अलग राय रखना
- एक-दूसरे से अलग पर्सनालिटी होना
- एक-दूसरे से अलग-अलग धारणा और वैल्यूज होना
- एक-दूसरे से अलग जिंदगी का मकसद होना
- घर में अचानक कोई बदलाव होना जैसे नए बच्चे का जन्म, पति-पत्नी में अलगाव आदि
- पैसों से संबंधित समस्याएं
- हर समय परिवार के सदस्यों के बीच स्ट्रेस रहना
- सेक्सुअलिटी से संबंधित इश्यूज
- घर के किसी एक सदस्य का बहुत ज्याद एल्कोहाल पीना या ड्रग यूज करना
- जुआ खेलना
- मेंटल डिसऑर्डर या लाइफस्टाइल इश्यू होना
- किसी के द्वारा कभी हैरेस किया जाना या बचपन में दोस्तों द्वारा बुली किया जाना
- किसी प्राकृतिक आपदा में भारी नुकसान होना
- रिश्तों पर भरोसा न करना
परिवार और रिश्ते संबंधी समस्याओं का प्रभाव (The impact of family and relationship problems)
हर व्यक्ति के परिवार बहुत महत्वपूर्ण होता है। कहते हैं न कि परेशान होने पर हर कोई अपने घर की ओर लौटता है। लेकिन जब कोई अपने घर-परिवार से ही परेशान हो तो क्या करे? घर और रिश्ते संबंधी परेशानियां काफी कष्टकारी होती हैं। इनके साथ आसानी से डील नहीं किया जा सकता। कई बार तो परिवार संबंधी परेशानियां व्यक्ति विशेष को मेंटल डिसऑर्डर की ओर धकेल देता है। यही नहीं लाइफ की अस्थिरता के लिए भी परिवार में मतभेद जिम्मेदार हो सकते हैं। कई बार तो ऐसी खबरे भी आती हैं कि परिवार से परेशान आकर किसी ने जान देती है। बहरहाल, हम चाहेंगे कि किसी के भी घर में कभी भी ऐसा दर्दनाक हादसा न हो इसलिए यहां बताए गए कुछ बातों पर गौर करें अपनी समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करें।
- नेगेटिव इमोशन जैसे गुस्सा, दुख और चिंता होना
- स्ट्रेस होना
- थकावट होना
- भ्रम की स्थिति या कंफ्यूजन होना
- अलग-अलग महसूस करना, अकेलेपन से घिरना और परिवार से किसी तरह की उम्मीद न रखना
- कंसनट्रेशन की कमी
- खाने या सोने में कठिनाई महसूस करना
- दोस्तों, सहकर्मियों या अपने बच्चों के साथ समस्या होना
- बुरी स्थितियों को सामना करने या बचने के लिए शराब या ड्रग्स का उपयोग करना
परिवार संबंधी समस्या से बचने के लिए क्या करें (tips to resolve family/relationship problems)
बातचीत करें (communicate with each other)
हर समस्या का एक ही समाधान है, बातचीत। आपके घर में किसी भी बात को लेकर परेशानी हो, पति-पत्नी के बीच अशांति है, बच्चे को लेकर समस्या है, हर स्थिति में परिवार के हर सदस्य एक-दसूरे से बातचीत करें। बातचीत करने से हर तरह के हल निकल आते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि अपने इमोशंस को लेकर ईमानदार रहें। स्थिति पर तुरंत रिएक्ट न करें और अपे दिमाग को शांत रखें। समस्या पर चर्चा करते हुए इन बातों को ध्यान रखें। यकीन समस्याएं कम होने लगेंगी।
अपने मतभेदों को स्वीकार करें (Accept your differences)
जब आप समझ जाते हैं कि परिवार का हर सदस्य एक जैसा नहीं सोच सकता, सबकी राय अलग होती है, सबके विचार अलग होते हैं। ऐसे में दो लोगों के बीच डिफरेंस हो सकते हैं। घर में शांति का माहौल बनाए रखने के लिए आपको उस डिफरेंस को समझना होगा। इस तरह आपका खुद पर भी भरोसा बढ़ेगा और घर के सदस्य भी यह मानेंगे कि आप लोग एक-दूसरे को वैसे ही स्वीकार कर रहे हैं जैसे कि आप लोग हैं। एक-दूसरे के लिए समझौता करने के बजाय सामंजस्य बैठाएं। इससे प्यार भी बढ़ता है।
साथ में मस्ती करें (Have fun together)
परिवार में उतार-चढ़ाव आना आम बात है। आपके लिए चुनौती यह है कि बुरे दौर में भी एक-दूसरे के साथ टिके रहना। एक-दूसरे के साथ मस्ती करना। ध्यान रखें कि भले ही दौर कितना ही बुरा क्यों न हो, कितना ही कष्टकारी क्यों न हो, जब आप साथ मिलकर मस्ती करते हैं तो परेशानियां आधी लगने लगती हैं और आपसी बाॅन्ड भी स्ट्राॅन्ग होने लगता है।
प्लानिंग करें (Make a plan together)
जब भी घर-परिवार में तनाव का माहौल ज्यादा पसरने लगे तो प्लान बनाएं। छोटे-छोटे गोल बनाएं। घर का हर सदस्य उसमें हिस्सा ले। अपने-अपने स्तर पर स्ट्रेस से निपटने की कोशिश करें। उदाहरण के रूप में समझें कि यदि घर में पैसों की तंगी है तो बजट तैयार करें। उसी बजट के अनुसार हर व्यक्ति अपने खर्च को सीमित करे। इसके साथ आय बढ़ाने के जरिए के बारे में सब मिलकर सोचें। सब मिलकर प्लानिंग करें और उसका अनुसरण भी सब मिलकर करें। ऐसा करके समस्या कम हो जाएगी और समाधान नजर आने लगेगा।
Disclaimer: उपरोक्त लेख पाठकों की सूचना एवं जानकारी हेतु दिया गया है। हमारी कोशिश है कि हर लेख संपूर्ण और सटीक हो और इसके लिए सभी संभव उपाय किए गए हैं। मनकामित्र इस लेख की सटीकता की ज़िम्मेदारी नहीं लेता है। यहां मौजूद किसी भी सलाह, सुझावों को निजी स्वास्थ्य के लिए उपयोग करने से पहले चिकित्सीय परामर्श अवश्य लें।
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